ऋणहर्ता गणेश साधना | Runharta Ganesh Sadhana |

 

ऋणहर्ता गणेश साधना

ऋणहर्ता गणेश साधना


अगर आप किसी भी क़र्ज़ से परेशान हो तो आप यह विधान जरूर करे | यह विधान ना सिर्फ इस जन्म के रन से मुक्ति देता है |

अपितु कई जन्मो के ऋणों का भी विनाश कर देता है |

यह विधान भगवान् शिव के और माँ पार्वती के संवाद से इस महान विधान की उत्पत्ति हुई है जो कृष्णयामल तंत्र में बताया हुआ है |

कर्ज से छुटकारा पाने का यह एक रामबाण उपाय है |

कैलाश पर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्ध शेखरं |

षडाम्नायसमायुक्तं प्रपच्छ नगकन्याका || 

सुन्दर एवं रमणीय कैलाशपर्वत पर छः आम्नायों से युक्त अर्धचंद्र को धारण करनेवाले चन्द्रार्द्धशेखर भगवान् शिव बैठे थे | उस समय गिरिराज नंदिनी पार्वतीजी ने स्नेह से पूछा -


पार्वत्युवाच

देवेश परमेशान सर्वशास्त्रार्थ पारग

उपायमृणनाशस्य कृपया वद साम्प्रतं ||

पार्वतीजी बोली - सम्पूर्ण शास्त्रों के जानकार अर्थ ज्ञान में पारंगत हे देवेश्वर परमेश्वर |

इस समय कृपा पूर्वक मुझे ऋण नाश का उपाय बताये |

( कर्ज मुक्ति का )



शिव उवाच

सम्यक पृष्टं त्वया भद्रे लोकानां हितकाम्यया |

तत्सर्वं संप्रवक्ष्यामि सावधानावधारय ||

शिवजी ने कहा हे कल्याणी तुमने लोकहितकी कामना से यह बहुत उत्तम बात पूछी है | में इस विषय में सबकुछ बताऊंगा | तुम सावधान होकर सुनो |


विनियोगः

अस्य श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिस्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः,अनुष्टुप छन्दः,श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिर्देवता ग्लौं बीजं गः शक्तिः गों कीलकं मम सकलर्णनाशने जपे विनियोगः |


ऋष्यादिन्यास

सदाशिवर्षये नमः शिरसि | बोलकर अपने सिर को स्पर्श करे

अनुष्टपछन्दसे नमः मुखे | बोलकर मुख को स्पर्श करे

श्रीऋणहरणहर्तृगणपतिर्देवतायै नमः हृदि | बोलकर ह्रदय को स्पर्श करे

ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये | बोलकर अपने गुप्त भाग को स्पर्श करे

गः शक्तये नमः पादयोः | बोलकर अपने दोनों पैरो को स्पर्श करे

गों कीलकाय नमः सर्वाङ्गे | बोलकर अपने पुरे शरीर के ऊपर से हाथ गुमाये


करन्यास 

गणेश अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |अपने अंगूठे को स्पर्श करे |

ऋणं छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः | बोलकर अपनी तर्जनी को स्पर्श करे |

वरेण्यम मध्यमाभ्यां नमः | बोलकर मध्यमा ऊँगली को स्पर्श करे |

हुम् अनामिकाभ्यां नमः | बोलकर अनामिका ऊँगली को स्पर्श करे |

नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः | बोलकर कनिष्टिका ऊँगली को स्पर्श करे |

फट करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः | बोलकर दोनों हथेलियों को आपस में स्पर्श करे


हृदयादिन्यास

गणेश हृदयाय नमः | बोलकर ह्रदय को स्पर्श करे |

ऋणं छिन्धि शिरसे स्वाहा | बोलकर सिर को स्पर्श करे |

वरेण्यम मध्यमाभ्यां नमः | बोलकर अपनी मध्यमा ऊँगली को स्पर्श करे |

हुम् कवचाय हुम् | बोलकर दोनों हाथो से कवच बनाये |

नमः नेत्रत्रयाय वौषट | अपनी दोनों आँखों को स्पर्श करे |

फट अस्त्राय फट | अपने सिर के ऊपर से हाथ घुमाकर तीन बार ताली बजाये |


ध्यान

सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टं |

ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवं ||


स्तोत्र

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक पूजितः फलसिद्धये |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


त्रिपुरस्य वधात पूर्वं शंभुना सम्यगर्चितः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


हिरण्यकश्यपादिनां वधार्थे विष्णुनार्चितः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


तारकस्य वधात पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


शशिना कांतिसिद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


पालनाय तपसा विश्वामित्रेण पूजितः |

सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु में ||


इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्रदारिद्रनाशनं |

एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः ||


दारिद्रयं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमताँ व्रजेत |

फड़न्तोयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः ||


|| श्री ऋणहरण गणेश साधना समाप्तः ||


यह स्तोत्र अतिउत्तम है सभी कर्जो से मुक्ति प्राप्ति के लिए | इस स्तोत्र का सर्वप्रथम 1200 पाठ कर अनुष्ठान कर ले |

उसके बाद प्रतिदिन 1 या 3 पाठ करे | इसके साथ निम्न मंत्र की भी माला करे

" गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुम् नमः फट

इस मंत्र की भी स्तोत्र के साथ माला करे |

ऋणहर्ता गणेश साधना | Runharta Ganesh Sadhana | ऋणहर्ता गणेश साधना | Runharta Ganesh Sadhana | Reviewed by Bijal Purohit on 6:57 pm Rating: 5

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