गणपति एकाक्षरी मंत्र | Ekakshari Mantra Sadhna |

 

गणपति एकाक्षरी मंत्र

गणपति एकाक्षरी मंत्र


गणपति का एक अक्षर वाला मंत्र जो बहुत बहुत चमत्कारिक है 

बहुत बहुत ही लाभदायक और शीघ्र फलदायक है |

भगवान् गणेश की पूर्ण कृपा प्राप्त करनेवाला यह अद्भुत एवं अत्यंत फलदायक मंत्र है |

यह मंत्र स्वयं ब्रह्माजी ने व्यासजी को दिया था और व्यास मुनि ने इसका अनुष्ठान किया था |

गणेशपुराण के उपासनाखण्ड में तो यहाँ तक कहा है |

सप्तकोटि महामन्त्रा गणेशस्यागमे स्थिताः |

तद्रहस्यं शिवोवेद किञ्चित किंचिदहंमुने ||


षड़क्षरैकाक्षरयोः श्रेष्ठत्वं तेषु विद्यते |

ययोः स्मरणमात्रेण सर्वसिद्धिः करे भवेत् ||


अर्थात 

ब्रह्माजी कहते है गणेशजी के अनंत मंत्र है |

उसमे भी जो सर्वसिद्धिदायक और शीघ्रफलदायक मंत्र है वो सुने |

आगम में गणेशजी के 7 करोड़ मंत्र बताये हुए है

और उनके रहस्य सिर्फ भगवान् शिव जानते है और कुछ कुछ में जानता हु

उन मंत्रो में षड़क्षर ( अक्षरोंवाला मंत्र )

 तथा एकाक्षर मंत्र ( एक अक्षर वाला मंत्र ) सर्वश्रेष्ठ है

इन दोनों मंत्र के स्मरणमात्र से ही साधक को सभी सिद्धिया हस्तगत हो जाती है


यहाँ में आज गणपति एकाक्षर मंत्र साधना का वर्णन कर रहा हु

इस साधना के लिए स्नान नित्यक्रम आदि कर के शुरुआत करे

इस साधना में संकल्प-आसनशुद्धि-विनियोग-न्यास आदि करना जरुरी है


संकल्प:

विष्णुः विष्णुः विष्णुः अमुक गोत्रः अमुक शर्माऽहं श्री महागणपति देवता प्रीत्यर्थं मम सकल पुरुषार्थ सिद्ध्यर्थं एकाक्षर गणपतिमंत्रस्य यथा शक्ति जपमहं करिष्ये |


संकल्प के बाद आसन शुद्धि करे |

विनियोग :

पृथ्वीति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः कूर्मो देवता सुतलं छन्दः आसने विनियोगः |

पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि (देविं) त्वं विष्णुना धृता |

त्वां धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनं ||


निर्विघ्नता के लिए भैरव को नमस्कार करे

तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पान्तदहनोपम

भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुमर्हसि || 


फिर हाथो में सरसौ लेके दिक्बन्धन करे |

अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः |

ये भूता विघ्नकर्तारः ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ||

फिर सरसौ को सभी दिशाओ में छोड़ दे


विनियोग:

अस्य श्रीएकाक्षरगणपतिमन्त्रस्य गणक ऋषिः निचृद्गायत्री छन्दः एकाक्षरगणपतिर्देवता गं बीजं आं अः शक्तिः ग्लौं कीलकं मम श्री गणपति प्रसाद सिध्यर्थे जपे विनियोगः |


ऋष्यादिन्यास:

गणकर्षये नमः शिरसि |

निचृद्गायत्रीछन्दसे नमः मुखे |

एकाक्षरगणपतिदेवतायै नमः हृदि |

गं बीजाय नमः मूलाधारे |

आं अः शक्तये पादयोः |

ग्लौं कीलकाय नमः सर्वाङ्गे |


करन्यास:

गां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |

गीं तर्जनीभ्यां नमः |

गूं मध्यमाभ्यां नमः |

गैं अनामिकाभ्यां नमः |

गौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः |

गः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |


हृदयादिन्यास:

गां हृदयाय नमः |

गीं शिरसे स्वाहा |

गूं शिखायै वौषट |

गैं कवचाय हुम् |

गौं नेत्रत्रयाय वौषट |

गः अस्त्राय फट |


भूर्भुवः स्वरों बोलकर सभी दिशाओ में चुटकी बजाये |


शापविमोचन मंत्र:

श्रीं ह्रीं क्लीं हूं गं ऐं क्रों कीलय कीलय स्वाहा

इस मंत्र को अपने मस्तकपर हाथ रखकर तीन बार बोले |


गणेश ध्यान:

विध्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगतहिताय |

नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||


फिर माला को प्रार्थना करे |

ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः |

ह्रीं सिद्धयै नमः |

मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी |

चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ||

शुभं कुरुष्व में भद्रे यशो वीर्यं सर्वदा ||


इसके पश्चात एकाक्षर मंत्र की प्रार्थना करे |

त्वं बीजं सर्वमंत्राणां त्वं माला सर्वदायिनी |

त्वं दाता सर्वसिद्धिनामेकाक्षर नमोस्तुते ||


पश्चात गणपति एकाक्षर मंत्र का आरम्भ करे |

मंत्र :

"गं"


इसका एक लाख मन्त्र जाप करे |

दशांश यज्ञ-तर्पण-मार्जन-ब्रह्मभोजन भी कराये |


मंत्र जाप के अंत में प्रार्थना करे |

गुह्यातिगुह्यगुप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं |

सिद्धिर्भवतु में देव त्वत्प्रसादात गणेश्वर ||


फिर जाप गणपति को अर्पण करे |

अनेन यथाशक्ति कृतस्य गणपति एकाक्षर मंत्र जाप श्री गणपति अर्पणं अस्तु || 


विशेष ज्ञातव्य मंथन:

यह मंत्र जाप भाद्रपद के गणपति के 10 दिनों में कर सकते है |

या कामनानुसार किसी भी मंगळवार से आरम्भ कर सकते है |

गणपति के मंदिर में या घर में ही गणपति की मूर्त की सामने अनुष्ठान करे |

अनुष्ठान के दौरान घी का दीपक अखण्ड रखने की कोशिश करे |

किस भी बुधवार जिस दिन नक्षत्र या तिथि शुभ हो तो बुधवार से भी आरम्भ कर सकते है |

इस मंत्र जाप के लिए रक्तचंदन की माला का प्रयोग करे |

माला गौमुखी में रखकर ही मंत्रजाप करे |

आसन दर्भासन या लाल रंग के कम्बल का आसन प्रयोग करे |

अनुष्ठान में भूमिशयन-ब्रह्मचर्य का पालन करे |

क्रोध ना करे |

किसी की भी निंदा ना करे |

कलह या वाद-विवादों से दूर रहे |

किसी को भी अपशब्द्द ना बोले |

और अनुष्ठान के अन्त में किसी भी साल से साल तक के बच्चे का गणपति स्वरुप में पूजन करे | उस शक्ति वस्त्र दान करे |


|| अस्तु ||

गणपति एकाक्षरी मंत्र | Ekakshari Mantra Sadhna | गणपति एकाक्षरी मंत्र | Ekakshari Mantra Sadhna | Reviewed by Bijal Purohit on 5:56 pm Rating: 5

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