श्री बगलामुखीमाला मंत्र द्वितीय | Baglamukhi Mala Mantra |

 

श्री  बगलामुखीमाला मंत्र द्वितीय

श्री  बगलामुखीमाला मंत्र द्वितीय


लघु बगलामुखी माला मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः बगले चतुर्भुजे मुद्गरशर

संयुक्ते दक्षिणे जिह्वावज्र संयुक्ते वामे

श्रीमहाविद्येपीतवस्त्रे पञ्चमहाप्रेताधिरूढे सिद्ध विद्याधर

वन्दिते ब्रह्म विष्णु रुद्रपूजिते आनन्दस्वरूपे

विश्वसृष्टिस्वरूपे महाभैरवरुपधारिणि

स्वर्ग मृत्यु पाताल स्तम्भिनि वाममार्गाश्रिते

श्रीबगले ब्रह्म विष्णु रुद्ररूप निर्मिते

षोडशकला परिपूरिते दानवरूप

सहस्त्रादित्य शोभिते त्रिवर्णे एहि एहि

रविमण्डलमध्याद् अवतर अवतर

सान्निध्यं कुरु कुरु मम हृदयँ प्रवेशय प्रवेशय

शत्रुमुखं स्तम्भय स्तम्भय अन्यभूत

पिशाचां खादय खादय अरिसैन्यं

विदारय विदारय परविद्यां परचक्रं

छेदय छेदय वीरचक्रं धनुषा

सम्भारय सम्भारय त्रिशूलेन

छिन्धि छिन्धि पाशेन बन्धय बन्धय

भूपतिं वश्यं कुरु कुरु सम्मोहय सम्मोहय

विना जाप्येन सिद्धय सिद्धय विना मन्त्रेण

सिद्धिं कुरु कुरु सकल दुष्टां घातय घातय

मम त्रैलोक्यं वश्यं कुरु कुरु सकल

कुल राक्षसान दह दह पच पच

मथ मथ हन हन मर्दय मर्दय मारय मारय

भक्षय भक्षय मां रक्ष रक्ष विस्फोटकाटिन

नाशय नाशय ह्रीं विषमज्वरं

नाशय नाशय विषं निर्विषं कुरु कुरु

ह्लीं बगलामुखि हुम् फट स्वाहा ||


|| अस्तु ||

श्री बगलामुखीमाला मंत्र द्वितीय | Baglamukhi Mala Mantra | श्री  बगलामुखीमाला मंत्र द्वितीय | Baglamukhi Mala Mantra | Reviewed by Bijal Purohit on 11:47 am Rating: 5

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