बगलामुखी कवच | Bagalamukhi Kavach |

 

बगलामुखी कवच

बगलामुखी कवच

शत्रुओ को ध्वस्त करके रक्षा करनेवाला


 शिरो में पातु ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं पातु ललाटकम् |

सम्बोधनपदं पातु नेत्रे श्री बगलानने ||


श्रुतौ मम रिपुं पातु नासिकां नाशयद्वयम् |

पातु गण्डौ सदा पातु मामैश्वर्याण्यन्यं तु मस्तकम् ||


देहि द्वन्द्वं सदा जिह्वां पातु शीघ्रं वचो मम् |

कण्ठदेशं मनः पातु वाञ्छित बाहुमूलकम् ||


कार्यं साधय द्वन्द्वं तु करौ पातु सदा मम् |

माया युक्ता तथा स्वाहा हृदयँ पातु सर्वदा ||


अष्टाधिक चत्वारिन्शद् दण्डाढ़या बगलामुखी |

रक्षा करोतु सर्वत्र गृहेऽरण्ये सदा मम् ||


ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु सर्वाङ्गे सर्व सन्धिषु |

मंत्रराज सदा रक्षां करोतु मम सर्वदा ||


ह्रीं पातु नाभिदेशं कटिं में बगलाऽवतु |

मुखी वर्णद्वयं पातु लिङ्गं में मुष्कयुग्मकम् ||


जानुनि सर्वदुष्टानां पातु में वर्ण पञ्चकम् |

वाचं मुखं तथा पादं षङ्गवर्णा परमेश्वरी ||


जङ्घा युग्मे सदा पातु बगला रिपुमोहिनी |

स्तम्भयेति पदम् पृष्ठं पातु वर्णत्रयं मम ||


जिह्वां वर्ण द्वयं पातु गुल्फौ में कीलयेति |

पादोर्ध्वं सर्वदा पातु बुद्धि पादतले मम् ||


विनाशय पदं पातु पादांगुल्योर्नखानि में |

ह्रीं बीजं सर्वदा पातु बुद्धिन्द्रिय वचांसि में ||

 

सर्वाङ्गं प्रणवः पातु स्वाहा रोमाणि मेंऽवतु |

ब्राह्मीं पूर्वदले पातु चाऽग्नेयां विष्णुवल्लभा ||


माहेशी दक्षिणे पातु चामुण्डा राक्षसेऽवतु |

कौमारी पश्चिमें पातु वायव्ये चाऽपराजिता ||


वाराही चौत्तरे पातु नारसिंही शिवेऽवतु |

ऊर्ध्वं पातु महालक्ष्मीः पाताले शारदाऽवतु ||


इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु सायुधाश्च वाहनाः |

राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायकः ||


श्मशाने जलमध्ये भैरवाश्च सदाऽवतु |

द्विभुजा रक्तवसनाः सर्वाभरण भूषिताः |

योगिन्यः सर्वदा पान्तु महारण्ये सदा मम ||


|| बगलामुखी कवच समाप्तं ||

बगलामुखी कवच | Bagalamukhi Kavach | बगलामुखी कवच | Bagalamukhi Kavach | Reviewed by Bijal Purohit on 1:06 pm Rating: 5

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