लक्ष्मी नारायण मंत्र | Lakshmi Narayan Mantra |

 

लक्ष्मी नारायण मंत्र

लक्ष्मी नारायण मंत्र


लक्ष्मीजी के साथ अगर नारायण की भी कृपा मिल जाए तो कहना ही क्या ?

और क्या चाहिए ? अगर लक्ष्मीनारायण की कृपा साधक को मिल जाए |

लक्ष्मी नारायण का सर्वोत्तम मंत्र जो साधक को अपार लक्ष्मी प्रदान करता है | स्थिर लक्ष्मी प्रदान करता है |

दशविध लक्ष्मी प्रदान करता है |

स्वस्थ आरोग्य प्रदान करता है |

सर्वविध प्राप्त करवाता है | यह मंत्र |

इस साधना को लक्ष्मीवासुदेव मंत्र साधना भी कहते है |


लक्ष्मी नारायण का चौदह अक्षरों वाला यह मंत्र सवविध वास्तु देनेवाला है |

इस साधना में विनियोग-न्यास आदि का प्रावधान है |


विशेष ज्ञातव्य टिप्पणी :

- इस मंत्र के जाप के लिए तुलसी माला-कमल गट्टे की माला-स्फटिक की माला-रक्तचंदन की माला का प्रयोग कर सकते है |

- मंत्र जाप के दौरान गौमुखी आवश्यक है अर्थात माला को गौमुखी में रखकर ही मंत्र जाप करे |

- मंत्र जाप के लिए अपना मुँह उत्तरदिशा की और रखे |

- मंत्र जाप के समय घी का दीपक अवश्य प्रज्वलित रखे |

- मंत्र जाप के समय धूपबत्ती भी करे |

- अगर इस मंत्र का अनुष्ठान करते है तो भूमिशयन-ब्रह्मचर्य का पालन करे |

- अनुष्ठान करते है तो क्रोध करने से बचे |


चौदह अक्षरों वाला लक्ष्मीनारायण मंत्र साधना

विनियोगः

अस्य मंत्रस्य प्रजापतिरृषिः | गायत्री छन्दः | वासुदेवो देवता |धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः |


ऋष्यादिन्यास:

प्रजापतिरृषये नमः शिरसि |

गायत्री छन्दसे नमः मुखे |

वासुदेव देवतायै नमः हृदि |

विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे |


षडङ्गन्यास :

ह्रीं ह्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |

श्रीं श्रीं तर्जनीभ्यां नमः |

लक्ष्मी मध्यमाभ्यां नमः |

वासुदेवाय अनामिकाभ्यां नमः |

नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः |


ह्रीं ह्रीं हृदयाय नमः |

श्रीं श्रीं शिरसे स्वाहा |

लक्ष्मी शिखायै वौषट |

वासुदेवाय कवचाय हुम् |

नमः अस्त्राय फट |


लक्ष्मीध्यान

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||


विष्णु ध्यान

शङ्ख चक्रं सकिरीट कुण्डलं

सपीतवस्त्रं सरशिरुहेक्षणं |

संहारवक्षः स्थलकौस्तुभ श्रियं

नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजं ||


मंत्र :

ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः |


इस मंत्र का अनुष्ठान 14 लाख का है |

इसके पश्चात इस मंत्र का दशांश यज्ञ-तर्पण-मार्जन ब्रह्म भोजन करवाए |

इस में दशांश यज्ञ में जो द्रव्य का प्रयोग करना है वो यह है |


यज्ञ सामग्री :

पायसेन कृतो होमो लक्ष्मीवश्य प्रदायकः |

मधुराक्तैस्तिलै हुत्वा सर्वकार्याणि साधयेत ||


अर्थात अगर इस मंत्र का यज्ञ पायस से किया जाए तो लक्ष्मीजी स्वयं वश में हो जाती है |

मधु(शहद)-तिल को मिश्रित कर यज्ञ किया जाए तो सभी कार्य सिद्ध होते है ||


|| अस्तु ||

लक्ष्मी नारायण मंत्र | Lakshmi Narayan Mantra | लक्ष्मी नारायण मंत्र | Lakshmi Narayan Mantra | Reviewed by Bijal Purohit on 1:10 pm Rating: 5

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