श्री शालीग्राम जी की आरती | Shaligram Aarti |


श्री शालीग्राम जी की आरती 

श्री शालीग्राम जी की आरती | Shaligram Aarti |
शालिग्राम आरती 


शालीग्राम     सुनो    विनती    मेरी | 
यह     वरदान     दयाकर    पाऊं ||  
प्रातः   समय  उठी   मंजन  करके | 
प्रेम     सहित      स्नान      कराऊं ||  
चन्दन    धूप     दीप     तुलसीदल |
वरण - वरण    के   पुष्प   चढ़ाऊं || 

तुम्हरे   सामने  नृत्य   करूं   नित | 
प्रभु  घण्टा   शंख   मृदंग  बजाऊं || 
चरण    धोय   चरणामृत    लेकर | 
कुटुम्ब  सहित  बैकुण्ठ   सिधारूं || 

जो  कुछ   रूखा - सूखा   घर  में | 
भोग    लगाकर    भोजन    पाऊं || 
मन   बचन   कर्म  से  पाप  किये | 
जो   परिक्रमा  के  साथ   बहाऊं || 

ऐसी    कृपा    करो    मुझ    पर | 
जम   के   द्वारे   जाने   न   पाऊं || 
माधोदास  की  विनती   यही   है |
हरि दासन   को  दास   कहाऊं ||  


|| श्री शालीग्राम जी की आरती समाप्तः ||
श्री शालीग्राम जी की आरती | Shaligram Aarti | श्री शालीग्राम जी की आरती | Shaligram Aarti | Reviewed by Bijal Purohit on 8:08 am Rating: 5

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