श्री एवं पुत्रकी प्राप्तिके लिये | Shree Avem Putraki Praptike Liye |

 

श्री एवं पुत्रकी प्राप्तिके लिये

श्री एवं पुत्रकी प्राप्तिके लिये

|| श्रीगणाधिपस्तोत्रम् ||


सरगिलोकदुर्लभं वीरगिलोकपूजितं सुरासुरैर्नमस्कृतं जरादिमृत्युनाशकम् |

गिरा गुरुं श्रिया हरिं जयन्ति यत्पदार्चका नमामि तं गणाधिपं कृपापयःपयोनिधिम् ||


गिरीन्द्रजामुखाम्बुजप्रमोददानभास्करं करीन्द्रवक्त्रमानताधसंघवारणोद्यतम् |

सरीसृपेशबद्धकुक्षिमाश्रयामि संततं शरीरकान्तिनिर्जिताब्जबन्धुबालसंततिम् ||


शुकदिमौनिवन्दितं गकारवाच्यमक्षरं प्रकाममिष्टदायिनं सकामनम्रपङ्क्तये |

चकासनं चतुर्भुजैर्विकासिपद्मपूजितं प्रकाशितात्मतत्त्वकं नमाम्यहं गणाधिपम् ||


नराधिपत्वदायकं स्वरादिलोकदायकं जरादिरोगवारकं निराकृतासुरव्रजम् |

कराम्बुजैर्धरन्सृणिन् विकारशून्यमानसैर्हृदा सदाविभावितं मुदा नमामि विघ्नपम् ||


श्रमापनोदनक्षमं समाहितान्तरात्मना समाधिभिः सदार्चितं क्षमानिधिं गणाधिपम् |

रमाधवादिपूजितं यमान्तकात्मसम्भवं शमादिषड्गुणप्रदं नमामि तं विभूतये ||


गणाधिपस्य पञ्चकं नृणामभीष्टदायकं प्रणामपूर्वकं जनाः पठन्ति ये मुदायुताः |

भवन्ति ते विदाम्पुरः प्रगितवैभवा जनाश्चिरायुषोऽधिकश्रियः सुसूनवो  संशयः ||


 || अस्तु ||

श्री एवं पुत्रकी प्राप्तिके लिये | Shree Avem Putraki Praptike Liye | श्री एवं पुत्रकी प्राप्तिके लिये | Shree Avem Putraki Praptike Liye | Reviewed by Bijal Purohit on 7:14 am Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.