कार्तिक चतुर्दशी को करे आवलें की पूजा | Kartik Chaturdashi Ko Kare Aavlen ki Puja |

 

कार्तिक चतुर्दशी को करे आवलें की पूजा

कार्तिक चतुर्दशी को करे आवलें की पूजा


कार्तिक माह में आंवले की पूजा करे सभी पापो का विनाश हो जाएगा

और सभी कामना पूर्ण होगी |

कार्तिक चतुर्दशी को करे आंवले की पूजा

कार्तिक माह में आंवले की पूजा करे और

खाये साक्षात् विष्णु प्रसन्न हो जायेगे |

आंवले का वृक्ष सभी पापो का विनाश करनेवाला है |

वैकुण्ठचतुर्दशी को आंवले की छाया में राधा सहित श्री हरी का पूजन करना चाहिए |

आंवले की १०८ प्रदक्षिणा करे |

आंवले के वृक्ष के निचे श्रीसत्यनारायण कथा करे या विद्वान ब्राह्मण से करवाने से साक्षात् नारायण समान तेज प्राप्त होता है

और भगवान् विष्णु स्वयं प्रसन्न होते है |


आंवले की उत्पत्ति कैसे हुई थी ?

पूर्वकाल में ब्रह्माजी जब अविनाशी परब्रह्म का जाप कर रहे थे तब उनके आगे श्वास निकला और आँखों से अश्रु निकले |

प्रेम से परिपूर्ण वो अश्रु जब पृथ्वी पर गिरे तब उसीसे आंवले की उत्पत्ति हुई |

जिनमे से बहुत शाखाये और उपयुक्त शाखाये निकलने लगी |

वह आंवले के फलो से भरा हुआ था |

सभी वृक्षो में सबसे पहले यही वृक्ष था |

ब्रह्माजी ने पहले आंवले को उत्पन्न किया | उसके बाद समस्त प्रजा की सृष्टि की |

जब देवता आदि वहा आये जहा आंवले का वृक्ष था उसे देखकर देवता भी आश्चर्य चकित हो गए |

उतने में एक आकशवाणी हुई की यह आंवले का वृक्ष सब वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ है |

कोई की यह भगवान् विष्णु का प्रिय है |

इसके स्मरणमात्र से गौदान का फल मिलता है |

इसके दर्शन और स्पर्श से दुगुना और खाने से तिगुना पुण्य मिलता है |

अतः सभी कामनाओ की सिद्धि के लिए आंवले के वृक्ष का पूजन करना चाहिए |

जो मनुष्य आंवले के वृक्ष निचे कार्तिक माह की चतुर्दशी को श्रीहरि की पूजा करता है,भोजन करता है, उसके पापो का नाश हो जाता है |

उसे कोटिगुना फल मिलता है अगर कोई मनुष्य आंवले की छाया में पूजा-पाठ-कथा करता है |

जो मनुष्य आंवले की छाया में ब्राह्मण दम्पति को भोजन करवाता है

और स्वयं भी भोजन करता है वो अन्न्दोष से मुक्त हो जाता है |

लक्ष्मीप्राप्ति के लिए आंवले के जल से स्नान करना चाहिए |

एकादशी को आंवले के जल से स्नान करने से भगवान् विष्णु संतुष्ट होते है |

नवमी, अमावस्या, सप्तमी, संक्रांति, रविवार, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण के दिन आंवले से स्नान नहीं करना चाहिए |

जो मनुष्य आंवले के वृक्ष की छाया में पिंडदान करने से भगवान् विष्णु के प्रसाद से पितर मोक्ष प्राप्त करते है |

जिसके शरीर की हड्डिया आंवले के पानी से धो जाए वो पुनः शरीर धारण नहीं करते |

जिनके सिरके बाल आंवले से मिश्रित जल से धोये जाते है वो मनुष्य कलिदोषो से नाश होकर विश्नि के साथ निवास करते है |

जिस घर में आंवला रखा जाता है  उस घर में भूत, प्रेत, कुष्माण्ड, राक्षस कभी नहीं आते |


अगर इसमें से कुछ भी ना कर सके तो ऐसे करे आंवले की पूजा

सर्वप्रथम स्नानदि कर्म करके आंवले ले वृक्ष समीप जाए

संकल्प करे

सर्वपापक्षयद्वारा श्रीदामोदरप्रीत्यर्थं धात्रीमुळे श्रीदामोदर पूजां करिष्ये |

संकल्प करके आंवले के वृक्ष को नमस्कार करे

चन्दन का टिका लगाए |

अक्षत चढ़ाये |

पुष्प अर्पण करे |

जल चढ़ाये |

नैवेद्य ( फल ) अर्पण करे |

पश्चात निम्नमन्त्र से अर्घ्य दे

अर्घ्यं गृहाण भगवन सर्वकामप्रदो भव |

अक्षया संततिर्मेस्तु दामोदर नमोस्तुते ||

पश्चात पुष्पों से पूजा करे |

और क्षमा याचना करे |

कार्तिक चतुर्दशी को करे आवलें की पूजा | Kartik Chaturdashi Ko Kare Aavlen ki Puja | कार्तिक चतुर्दशी को करे आवलें की पूजा | Kartik Chaturdashi Ko Kare Aavlen ki Puja | Reviewed by Bijal Purohit on 1:22 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.