नवदुर्गा के नाम | Navdurga ke Naam |

 

नवदुर्गा के नाम 

नवदुर्गा के नाम


वर्ष की चार नवरात्री में से जब किसी भी नवरात्री में कोई भी मनुष्य अनुष्ठान करे तब अष्टमी या नवमी को कन्यापूजन करना चाहिए क्युकी माँ दुर्गा को प्रसन्न करना हो तो सदैव छोटी उमर की कन्याओ का पूजन करना चाहिए उन्हें भेट समर्पित करनी चाहिए खासकर तब जब नवरात्री के नौ दिन अनुष्ठान किया हो - व्रत-जप-तप-यज्ञ आदि किया हो मगर कन्या पूजन ना किया हो तो यह सब करने के बावजूद भी सब अधूरा  है

तो अगर दुर्गा उपासक है तो सदैव प्रातःकाल इन नवदुर्गा स्तोत्र का पाठ या नवदुर्गा के नामो द्वारा माँ दुर्गा को प्रसन्न करे


श्री नवदुर्गा स्तोत्र 

ब्रह्मोवाच 

प्रथमं शैलपुत्रीं द्वितीयं ब्रह्मचारीणीं

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं || 

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमं || 

नवमं सिद्धिदात्री नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः

उक्तन्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना || 



नवदुर्गा के नाम 

- माँ दुर्गा का प्रथम स्वरुप है शैलपुत्री माँ दुर्गा ने हिमालयराज के वहा पुत्री स्वरुप बनकर जन्म लिया था इसी लिए उन्हें शैलपुत्री कहा गया


- माँ दुर्गा का दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी है, जो ब्रह्मस्वरूप को प्राप्त कराये जो ब्रह्मज्ञान प्राप्त कराये वो है ब्रह्मचारिणी


- माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप है चंद्रघंटा माँ का जो स्वयं चंद्र की तरह शीतलता प्रदान करती है, जिन्होंने अपने मुकुट में चंद्र धारण किया हुआ है वो चंद्रघंटा


- माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप है कुष्मांडा माँ का त्रिविध तापो को हरनेवाली माँ है वो है कुष्मांडा माँ


- माँ दुर्गा का पांचवा स्वरुप है स्कंदमाता जो सनत्कुमारो की माता है और स्कन्द की माता है इसलिये स्कंदमाता कहा गया है


- माँ दुर्गा का छठा स्वरुप है कात्यायनी माँ देवो के कार्यो को सिद्ध करने के लिये कात्यायन मुनि के वहा प्रकट हुई इस  कात्यायनी माँ कहा गया है


- माँ दुर्गा का सातवा स्वरुप है कालरात्रि जो कालो की रात्रि है वो अर्थात महाकाली(कालरात्रि) जो महाभयंकर घोर स्वरुप है माँ दुर्गा का वो है कालरात्रि माँ


- माँ दुर्गा का आठवा स्वरुप है महागौरी जो गौरवर्णी सुन्दर देदीप्यमान है, श्वेतवर्णी है वो माँ महागौरी


- मा दुर्गा का नवमा स्वरुप है सिद्धिदात्री जो सभी सिद्धिया प्रदान करनेवाली है | जो अष्टसिद्धि नवनिधी प्रदान करती है


तो यह है मा दुर्गा के नौ स्वरुप जिन्हे नवदुर्गा माँ भी कहते है

जब भी नवरात्री व्रत करे तब अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन के समय इस स्तोत्र का उच्चारण करना चाहिए

जिससे कन्या पूजन सम्पूर्ण फल प्राप्त हो सके || 


|| अस्तु || 

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