कार्तवीर्य स्तोत्र | Kartvirya Stotra |

 

कार्तवीर्य स्तोत्र

कार्तवीर्य स्तोत्र



विश्व में कई लोग है जो कभी कभी एक विश्वास की वजह से अपने पैसो को खो देते है |

कहने का तात्पर्य है की जैसे अगर आपने अपने रिश्तेदारों को पैसे दिए है चाहे वो कितने भी हो

या अपने बिज़नेस पार्टनर को पैसे दिए हो

या किसी को ब्याज पर पैसे दिए फिर वो वापिस नहीं कर रहा तब लोग परेशान हो जाते है |

 ना रातभर सोते है | ना ही वो शांति से उठबैठ सकते है ऐसी दुविधा में रहते की किसी को बता

भी नहीं सकते ऐसे में क्या करे ?

या क्या करना चाहिये ?


विश्वाश रखे जब जब भी सब रास्ते बांध हो जाते है तब एक अध्यात्म का सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है जो सही मार्गदर्शन देता है |

ऐसा ही एक प्रयोग हामरे शास्त्रों में दिया हुआ है

जिसके सम्पूर्ण अनुष्ठान से आपके पैसे को आप

वापिस प्राप्त कर सकते हो |

वो प्रयोग है " कार्तवीर्यस्तोत्र "

इस स्तोत्र के कितने पाठ करे ?

इस स्तोत्र के 16000 पाठ करे |

या प्रतिदिन 160 पाठ करे |

इसमें कोई दशांश यज्ञ या तर्पण मार्जन की आवश्यकता नहीं है |



अनुष्ठान विधि 

किसी भी दिन इस स्तोत्र का आरम्भ कर सकते है |

इस स्तोत्र का पाठ करते समय पुरुषो को लाल वस्त्र धारण करने है |

 अगर कोई महिला इसका अनुष्ठान करे तो लाल साडी या लाल रंग के  वस्त्र धारण कर इसका

अनुष्ठान करे |

सम्पूर्ण भक्ति-श्रद्धा युक्त होकर स्तोत्र में

विश्वास रखकर पाठ करे |


|| अथ कार्तवीर्य स्तोत्र ||

कार्तवीर्य खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली |

सहस्त्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धरः || ||


रक्तगंधो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः |

द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत || ||


सम्पदस्तस्य जायन्ते जनास्तस्य वशंगताः |

आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियं || ||


कार्तवीर्योर्जुनो नाम राजा बाहुसहस्त्रभृत |

तस्यस्मरणमात्रेण हृतं नष्टं लभ्यते || ||


कार्तवीर्य महाबाहो सर्वदुष्टनिबर्हण |

सर्व रक्षा सदा तिष्ठ दुष्टान्नाशय पाहि माम || ||


|| इति ||

अगर कही पैसा फस गया हो या किसी ने जानबूझकर फसा दिया है

किसी ने पैसा ब्याज पर लेकर वापिस नहीं दिया 

या किसी को धन उधार देने के बाद वो वापिस नहीं कर रहा तो अवश्य करे यह प्रयोग |


|| अस्तु ||

कार्तवीर्य स्तोत्र | Kartvirya Stotra | कार्तवीर्य स्तोत्र | Kartvirya Stotra | Reviewed by Bijal Purohit on 1:30 am Rating: 5

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