बजरंग बाण | Bajrang Baan |

 

बजरंग बाण 

बजरंग बाण


हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने का और सभी बिगड़े काम को सही करनेवाला अमोघ बाण है बजरंग बाण

अगर यह काहे की सौ समस्या का एक समाधान तो भी ग़लत नहीं होगा


बजरंग बाण का पाठ कैसे करे ?

यह बाण मारने के लिये अपने आगे हनुमानजी की प्राणप्रतिष्ठित मूर्ति या

फोटो रखे

धूप-दीप प्रज्वलित रखे जब तक यह पाठ करते है

तिल के तेल का दिया करे या शत्रु बाधा निवारण हेतु सरसौ के तेल का दीपक प्रज्वलित करे

फिर हनुमान जी का ध्यान धरे ||

|| सर्वप्रथम हनुमानजी का ध्यान करे || 


|| ध्यान || 

मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं

वातात्मजं वानरयुथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये || 


।। हनुमान बजरंग बाण ।।

।। दोहा ।। 

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करे सनमान

तेहि के क़ारज़ सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ।। 


।। चौपाई ।। 

जय हनुमंत संत हित कारी

सुनी लिज़ै प्रभु अरज़ हमारी ।।


जन के काज बिलंब कीजै

आतुर दौरि महासुख दीजै ।।


जैसे कूदि सिंधु के पारा

सुरसा बदन बैठी बिस्तारा ।। 


आगे जाय लंकिनी रोका

मारेहु लात गई सुरलोका ।।


जाय बिभीशन को सुख दीन्हा

सीता निरखि परम-पद-लीन्हा ।।


बाग़ उज़ारि सिन्धु महँ बोरा

अति आतुर जमकातर तोरा ।।


अछय कुमार मारि संहारा

लूम लपेटि लँक़ को ज़ारा ।।


लाह समान लँक़ जरि गई

जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ।।


अब बिलंब क़ेहि क़ारन स्वामी

कृपा करहु उर अंतरयामी ।।


जय जय लखन प्रान के दाता

आतुर है दुःख करहु निपाता ।।


जय हनुमान जयति बल-सागर

सुर-समुँह-समरथ भट नागर ।।


हनु हनु हनु हनुमंत हठीलैय

बैरिही मारू बज्र की क़िले ।।


ह्री ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा

हूँ हूँ हूँ हनु अरि उर सीसा ।।



जय अंजनी कुमार बलवंता

संकरसुवन बीर हनुमंता ।।


बदन कराल काल-कुल-घालक

राम-सहाय सदा प्रतिपालक ।।


भूत-प्रेत-पिसाच-निसाचर

अगिन बेताल काल मारी मर ।।


इन्हें मारू तोहि सपथ रामकी

राखुनाथ मरजाद नाम की ।।


सत्य होहु हरी सपथ पाई क़ै

रामदूत धरु मारु धाई क़ै ।।


जय जय जय हनुमंत अगाधा

दुख पावत जन क़ेहि अपराधा ।।


पूजा-जप-तप नेम अचारा

नहीं जानत कछु दास तुम्हारा ।।


बन उपबन मग गिरी गृह माहीं

तुम्हरे बल हौऊ डरपत नाहीं ।।


जनकसुता हरि दास कहावौ

ता की सपथ बिलंब लावौ ।।


जय जय जय धुनि होत अक़ासा

सुमिरत होय दुसह दुःख नासा ।।


चरन पकरि कर जोरि मनावौ

याहि औसर क़ेहि गोहरावौ ।।


उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई

पाय परौ कर जोरि मनाई ।।


चं चं चं चं चपल चलंता |

हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता ||


हँ हँ हाँक देत कपि चंचल |

सं सं सहमि पराने खल दल ||


अपने जान को तुरत उबारौ |

सुमिरत होय अनंद हमारौ ||


यह बजरंग बाण जेहि मारै |

ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ||


पाठ करै बजरंग बाण की |

हनुमत रच्छा करै प्रान की ||


यह बजरंग बाण सो जापै |

तासो भूत प्रेत सब कापै ||


धूप देय जो जपे हमेसा |

ताके तन नहीं रहै कलेसा ||


|| दोहा || 

उर प्रतीति दृढ सरन है, पाठ करै धरि ध्यान |

बाधा सब हर करै सब काम सफल हनुमान ||

|| बजरंग बाण हनुमान अर्पणं अस्तु || 


कितने पाठ करे

वैसे तो प्रतिदिन एक पाठ कर सकते है किन्तु अपनी कामना को पूर्ण करने के लिये कुछ विशेष प्रयोग करे |

जैसे प्रतिदिन एक-पांच-सात-नव या अधिक पाठ करे |

108 पाठ कर मनोकामना पूर्ण करे हनुमानजी की पूर्ण कृपा प्राप्त करे |

घोर समस्याओ का अंत करने के लिये 10 दिन में 1008 पाठ का अनुष्ठान करे जीवन की सभी समस्याओ का अंत हो जाएगा | |



कैसे सिद्ध करे ? या यह पाठ कब करे ?

किसी भी मंगलवार या शनिवार से यह बाण का आरम्भ करे |

नरकचतुर्दशी की रात्रि को इस बाण का 100 पाठ करे सभी सिद्धिया प्राप्त हो जायेगी ||


इस बाण के लाभ 

हनुमानजी का यह बाण प्रेम भक्ति पूर्वक करे |

इस बाण के पाठ करने से हनुमानजी की कृपा से सब

कुशल-मंगल हो जाता है |

इस बाण के पाठ से कभी कोई आसुरी शक्ति का स्पर्श भी नहीं होगा |

यह बाण जपने से हनुमानजी स्वयं हमारी रक्षा करते है |

इस बाण के स्मरण मात्र से भूत-प्रेत काँपने लगते है |

धुप दीप प्रज्वलित कर इसका पाठ करने से जीवन के सभी कलह 

समाप्त हो जाते है ||


|| अस्तु || 

|| बजरंग बाण सम्पूर्णं ||

बजरंग बाण | Bajrang Baan | बजरंग बाण | Bajrang Baan | Reviewed by Bijal Purohit on 1:33 am Rating: 5

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