चरणामृत कैसे बनाया जाता है ? चरणामृत किसे कहते है ? चरणामृत क्यों लेते है ? Charnamrut kise kahate hai ?


चरणामृत कैसे बनाया जाता है ?
चरणामृत किसे कहते है ?
चरणामृत क्यों लेते है ?


चरणामृत कैसे बनाया जाता है ? 



चरणामृत का महत्व 
आपने अगर गौर किया हो की जब जब भी हम किसी मंदिर में जाते है तब वहा के पंडित जी 
पुजारी जी हमे हाथ में हमे जल पिने के लिए देते है |
वो क्या होता है ?क्या आपको पता है ?

वो जल होता है वहा के देवी या देवता के चरणों का अमृत |
हमारे शास्त्रों में चरणामृत का 
महत्वप्रचुर मात्रा में दर्शित किया हुआ है | और दूसरी बात आपने गौर की हो तो वो 
चरणामृत वहा पर सिर्फ और सिर्फ ताम्बे के पात्र में ही रखा जाता है |
क्युकी आयुर्वेद और 
हमारे शास्त्र कहते है की ताम्बे में रखे पानी को पीने से सभी रोगो का नष्ट करने में सहायता 
मिलती है | हमारे शरीर को तेज प्राप्त होता है | स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है | 
इसमें जल रखकर पिने से रोगनाशक विषाणु नष्ट हो जाते है | 

यह तो बात रही विज्ञान और आयुर्वेद की किन्तु हमारे शास्त्र में तो भगवान् के चरण के अमृत का बहुत महत्व दर्शाया हुआ है |
इसलिए अवश्य प्रतिदिन भगवान के चरण का अमृत 
ग्रहण करके ही दिन की शुरुआत करनी चाहिए | 

चरणामृत कैसे बनाया जाता है ? 
चरणामृत किसे कहते है ?

भगवान् के सर के ऊपर जब जल या पंचामृत अर्पण करते है और वो ही जल या पंचामृत 
भगवान् के पुरे शरीर के ऊपर से 
निकलता हुआ चरणों में से बहने लगे या निकले उसे चरणामृत कहते है | 
और उसीको ग्रहण करने का विधान शास्त्रों में कहा गया है |
उसे महाऔषधि भी कह सकते है | 

उसके कुछ उदाहरण है जैसे रामचरित मानस के अयोध्याकाण्ड में कहा गया है 
पद पखारि जलपानकरि आपु सहित परिवार | 
पितर पार करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लै पार || 

अर्थात केवट ने भगवान् श्रीराम के चरणों को धोकर उनके चरणके अमृत का पान किया और 
ऐसा करते ही वो भवबन्धन से मुक्त हो गए सिर्फ इतनाही नहीं अपितु अपने पितरो को भी 
मोक्षप्रदान करवाया | 

दूसरा उदाहरण है 
पापव्याधि विनाशार्थ विष्णुपादोदक् औषधम् | 
तुलसीदलसंमिश्रं जलं सर्षपमात्रकम् || 
अर्थात पाप - आधी - व्याधि दुःख दूर करने के लिए भगवान् के चरणोंका अमृत ग्रहण करना ही 
चाहिए | यह एक औषधि  रुप है | उसमे भी अगर तुलसीदल मिश्रित हो तो उसके महत्त्व और 
गुणों में और भढ़ोतरी हो जाती है | किन्तु यह चरणामृत सर्षप के समान ग्रहण करना चाहिए | 

चरणामृत ग्रहण करने का मंत्र 
अकाल मृत्यु हरणं सर्वव्याधि विनाशनम् | 
विष्णुपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यडहम् || 

भगवान् का चरणामृत अकाल मृत्यु होने से बचाता है | अकाल मृत्यु नहीं होने देता | सर्व व्याधि 
का विनाश कर देता है | 
विष्णु के चरण का अमृत तीर्थो के जल समान है जिसे जठर में धारण करने से सभी दुखो से 
मुक्ति देता है | 
कुछ कुछ जगह पैर यह पङ्क्ति का भी उल्लेख है 
विष्णुपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते || 
अर्थात विष्णु के चरण का उदक यानी जल - पानी पिने से पुनर्जन्म नहीं होता | 
इतना महान और अद्भुत चरणामृत का महत्व है | 

|| अस्तु ||      
चरणामृत कैसे बनाया जाता है ? चरणामृत किसे कहते है ? चरणामृत क्यों लेते है ? Charnamrut kise kahate hai ? चरणामृत कैसे बनाया जाता है ? चरणामृत किसे कहते है ? चरणामृत क्यों लेते है ? Charnamrut kise kahate hai ? Reviewed by Bijal Purohit on 7:57 am Rating: 5

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