संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | नमन्ति फलिनो वृक्षा | Sanskrit Subhashita |


संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित

सुभाषित : १

नमन्ति फलिनो वृक्षा नमन्ति गुणिनो जनाः |
शुष्क काष्ठश्च मूर्खश्च न नमन्ति कदाचन ||

नमन्ति फलिनो वृक्षा | Sanskrit Subhashita |
संस्कृत सुभाषित

|| अर्थ : ||

फल से भरा हुआ वृक्ष हमेशा धरती को नमन करता है अर्थात झुकता है,
ठीक उसी तरह गुणी मनुष्य भी सभी के साथ नम्रता से व्यवहार करता है | 
किन्तु मुर्ख मनुष्य सुखी लकड़ी की तरह होता है ( जैसे सुखी लकड़ी झुक नहीं सकती वप अक्कड़ रहती है )
जो किसी के आगे नहीं झुकती मुर्ख मनुष्य भी वैसे होते है |
ऐसे मुर्ख मनुष्यो से दूर रहना चाहिये |

|| जय श्री कृष्णा ||
संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | नमन्ति फलिनो वृक्षा | Sanskrit Subhashita | संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | नमन्ति फलिनो वृक्षा | Sanskrit Subhashita | Reviewed by Bijal Purohit on 1:38 am Rating: 5

2 टिप्‍पणियां:

Blogger द्वारा संचालित.