संस्कृत सुभाषित हिंदी अर्थ सहित | सर्प दुर्जन | Sanskrit subhashit hindi |


सर्प दुर्जनरोर्मध्ये

|| सुभाषित ||

सर्पदुर्जनरोर्मध्ये वरं सर्पो न दुर्जनः |
सर्प दंशती कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे ||

सर्प दुर्जन | Sanskrit subhashit hindi |
सुभाषित
|| अर्थ ||

सर्प अर्थात साप और दुर्जन यानी अधम मनुष्य के बीच सर्प ज्यादा अच्छा है,
क्युकी सर्प तो एक ही बार डंख मारता है लेकिन
दुर्जन मनुष्य तो सदा और बार बार हर बार डंख मारता है अर्थात
दुर्जन मनुष्य सबकी जिंदगी को नष्ट कर देता है |

|| जय श्री कृष्ण ||
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