शापविमोचन मंत्र | Shapvimochan Mantra |

 

शापविमोचन मंत्र

शापविमोचन मंत्र

ॐ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापविमोचन मन्त्रस्य वसिष्ठनारदसंवादसामवेदाधिपतिब्रह्माण ऋषयः सर्वैस्वर्य कारिणी


 श्रीदुर्गा देवता चरित्रत्रयं बीजं ह्रीं शक्तिः त्रिगुणात्मस्वरूप 

चण्डिकाशापविमुक्तौ मम संकल्पितकार्यसिद्धद्ध्यर्थे जपे विनियोगः |   


ॐ रीं  रेतःस्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिन्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १ || 


ॐ श्रीं बुद्धिस्वरूपिण्यै महिषासुर सैन्यनाशिन्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || २ || 


ॐ रं रक्तस्वरूपिण्यै महिषासुरमर्दिन्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || 3 ||


ॐ क्षुं क्षुधास्वरूपिण्यै देववन्दितायै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ४ || 


ॐ छां छायास्वरूपिण्यै दुतसंवादिन्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ५ || 


ॐ शं शक्तिस्वरूपिण्यै ध्रुमलोचनधातिन्येै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ६ || 


ॐ तृं तृषास्वरूपिण्यै चण्डमुण्डवधकरिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ७ || 


ॐ क्षां क्षान्तिस्वरूपिण्यै रक्तबीजवधकारिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ८ || 


ॐ जां जातिस्वरूपिण्यै निशुम्भवधकारिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ९ || 


ॐ लं लज्जास्वरूपिण्यै शुम्भवधकारिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १० || 


ॐ शां शान्तिस्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || ११ || 


ॐ श्रं श्रद्धास्वरूपिण्यै सकलफलदात्र्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १२ || 


ॐ कां कान्तिस्वरूपिण्यै राजवरप्रदायै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १३ || 


ॐ मां मातृस्वरूपिण्यै अनर्गलमहिमसहितायै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १४ || 


ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सर्वैस्वर्यकारिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १५ || 


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्यकवचस्वरूपिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव  || १६ || 


ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फट् स्वाहायै ऋग्वेदस्वरूपिण्यै 

ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव || १७ ||


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वती स्वरूपिण्यै 

त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादेव्यै नमः || १८ || 


इत्येवं हि महामन्त्रान् पठित्वा परमेश्वर | 

चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशयः || १९ || 


एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति यः | 

आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशयः || २० || 


|| अस्तु || 


 

शापविमोचन मंत्र | Shapvimochan Mantra | शापविमोचन मंत्र | Shapvimochan Mantra | Reviewed by Bijal Purohit on 4:12 pm Rating: 5

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