श्री शङ्कराष्टकम् स्तोत्र |Shree Shankrashtakam Stotra |

 

श्री शङ्कराष्टकम् स्तोत्र 

श्री शङ्कराष्टकम् स्तोत्र 


हे वामदेव शिवशङ्कर दीनबन्धो 

काशीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्

हे विश्वनाथ भवबीज जनार्तिहारिन् 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे भक्तवत्सल सदाशिव हे महेश 

हे विश्वतात जगदाश्रय हे पुरारे

गौरीपते मम पते मम प्राणनाथ 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे दुःखभञ्जक विभो गिरिजेश शूलीन् 

हे वेदशास्त्रविनिवेद्य जनैकबन्धो

हे व्योमकेश भुवनेश जगद्विशिष्ट 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे धूर्जटे गिरीश हे गिरिजार्धदेह 

हे सर्वभूतजनक प्रमथेश देव

हे सर्वदेवपरिपूजितपादपद्म

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे देवदेव वृषभध्वज नन्दिकेश 

कालीपते गणपते गजचर्मवास

हे पार्वतीश परमेश्वर रक्ष शम्भो 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे वीरभद्र भववैद्य पिनाकपाणे

हे नीलकण्ठ मदनान्त शिवाकलत्र

वाराणसीपुरपते भवभीतिहारिन् 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे कालकाल मृड शर्व सदासहाय 

हे भूतनाथ भवबाधक हे त्रिनेत्र

हे यज्ञशासक यमान्तक योगिवन्द्य 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


हे वेदवेद्य शशिशेखर हे दयालो 

हे सर्वभूतप्रतिपालक शूलपाणे

हे चन्द्रसूर्यशिखिनेत्र चिदेकरुप 

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष || || 


श्री शङ्कराष्टकमिदं योगानन्देन निर्मितम्

सायं प्रातः पठेन्नित्यं सर्वपापविनाशकम् || || 


|| इति श्रीयोगानन्दतीर्थविरचितं श्री शङ्कराष्टकं सम्पूर्णम् ||      

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