पूजा के अलग अलग प्रकार | Pooja ke Prakar |


पूजा के अलग अलग प्रकार 

पूजा के अलग अलग प्रकार 

हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान् की सकाम और
निष्काम प्रकार से
 

पूजा करते है 

और की जाती है,किन्तु जिस उपचारो के द्वारा हम भगवान् कीपूजा करते है,

वो उपचार मैंने आज यहाँ लिखा है साथ ही मैंने 

उत्तम मानसोपचार पूजा का प्रकार भी बताया हुआ है


पञ्चोपचार पूजा - जो पाँच उपचारो से पूजा करते है वो

दश उपचार पूजा - दश द्रव्यों का प्रयोग किया जाए वो

षोडशोपचार पूजा - जिसमे सोलह द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है वो

एक विंशति उपचार पूजा - जिसमे इक्कीस द्रव्यों का प्रयोग किया जाए वो

त्रिंशोपचार पूजा - जिसमे तीस द्रव्यों का प्रयोग कर पूजा की जाए वो

राजोपचार पूजा - जिस पूजा में पहले के ज़माने में राजा जिन द्रव्यों से उपचारो से पूजा करते थे वो द्रव्य

मानसोपचार पूजा - अर्थात मन से ही भगवान् को सब समर्पित किया जाए वो 


गंध-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्यपंचोपचार पूजा 


दश उपचार पूजा 

पाद्य-अर्घ्य-स्नान-मधुपर्क-आचमन-गंध-पुष्प-दीप-धूप-नैवेद्य


षोडशोपचार पूजा 

आवाहन-स्थापन-पाद्य-अर्घ्य-स्नान-वस्त्र-आभूषण-गंध-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्य-आचमन-ताम्बूल-पुष्पहार-आरती-नमस्कार


एकविंशति उपचार पूजा 

आवाहन-स्वागत-आसन-स्थापन-पाद्य-अर्घ्य-स्नान-वस्त्र-उपवीत-आभूषण-गंध-पुष्प-धुप-दीप-नैवेद्य-आचमन-ताम्बूल-पुष्पहार-आरती-नमस्कार-विसर्जन


त्रिंशोपचार पूजा 

ध्यान-आवाहन-आसन-पाद्यं-अर्घ्यं-आचमनीयं-पयःस्नान-दधिस्नान-घृतस्नान-मधुस्नान-शर्करास्नान-अभ्यंगस्नान-स्नान-वस्त्र-यज्ञोपवीत-गंध-अक्षत-पुष्प-श्वेत(अबिल)-रक्त(गुलाल)-सिंदूर-धुप-दीप-नैवेद्य-आचमनीय-ताम्बूल-दक्षिणा-नीरांजन-प्रदक्षिणा-नमस्कार


राजोपचार पूजा 

ध्यान-आवाहन-आसन-पाद्य-अर्घ्य-आचमनीय-मधुपर्क-आचमनीय-पयस्नान-दधिस्नान-घृतस्नान-मधुस्नान-शर्करास्नान-सुगन्धित तेलस्नान-उद्वर्तनस्नान-स्नान-शुद्धोदकस्नान-वस्त्र-पादुका-केशपाशसंस्करण-सौवीरांजन-अलंकार-गंधं-कुंकुम-कज्जल-अक्षत-अत्तर-सिंदूर-पुष्पाणि-पुष्पमाला-अङ्गपूजा-आवरणपूजा-श्वेतचूर्ण-रक्तचूर्ण-सिंदूर-हरिद्रा-धूप-दीप-नैवेद्य-आचमन-पूर्वपोषण-जलं-उत्तरापोषण-करोद्वर्तन-ताम्बूल-दक्षिणा-प्रदक्षिणा-विशेषार्घ्य-छत्र-चामर-व्यजन-आदर्श-तुरंग-मातंग-रथ-सैन्य-प्राकार-नृत्य-नीरांजन-विशेषार्घ्य-नमस्कार-क्षमा-प्रार्थना 


मानसोपचार पूजा 

नारद मुनि ने नारदपुराण में कहा है 

की अगर आप के पास कोई सामग्री उपलब्ध ना हो तब अगर भगवान् की मानसकि पूजा की जाए तो भगवान प्रसन्न होते है 

वो मानसिक पूजा है 

भगवान् को नमस्कार कर यह प्रार्थना करनी है

पृथ्वी रूपी गंध आपको समर्पित करता हु

आकाश रूपी पुष्प में आपको समर्पित करता हु

वायु रूपी धुप आपको में समर्पित करता हु

तेज प्रकाश रूपी दीप आपको समर्पित करता हु

और में अपने ह्रदय से आत्मरूपी भाव से अमृतरूपी नैवेद्य अर्पण करता हु || 


ये है भगवान् को पूजा में समर्पित किये जाने वाले उपचार

|| अस्तु || 





पूजा के अलग अलग प्रकार | Pooja ke Prakar | पूजा के अलग अलग प्रकार | Pooja ke Prakar | Reviewed by Bijal Purohit on 3:36 am Rating: 5

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