माँ शैलपुत्री की कथा || Karika Maa Shailputri Ki Katha || Shail putri mantra |


माँ शैलपुत्री की कथा 

माँ शैलपुत्री की कथा  || Karika Maa Shailputri Ki Katha || Shail putri mantra |
 माँ शैलपुत्री की कथा

माँ शैलपुत्री मंत्र 

माँ दुर्गा के मुख्य नौ स्वरुप है जिसमे पहला स्वरुप माँ शैलपुत्री का है पुराणों में हर एक स्वरुप का वर्णन, कथा और मंत्र विधान बताया हुआ है,
नवरात्र के पहले दिन माँ शैलपुत्री का पूजन करने का विधान है आज मैंने इस वीडियो  माध्यम से आपको माँ शैलपुत्री की कथा और मंत्र विधान बताया है |

पर्वतो के राजा हिमालय के वहा माँ पार्वती पुत्री रुप में प्रगट हुए इस लिये उन्हें शैलपुत्री कहते है |

कथा  

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार जब प्रजापति दक्ष ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया तब दक्षराजा ने सभी देवताओ को अपना अपना यज्ञ का भाग देने के लिये आमंत्रित किया था, किन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया |

फिर भी जब सती को पता चला की उनके पिता दक्ष ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया तब वो वहा जाने के लिए उत्सुक हो गयी,

उन्होंने यज्ञ में जाने की इच्छा शिव को बताई तब शिव ने कहा प्रिये किसी कारणवश प्रजापति दक्ष हमसे रुष्ट है अतः हमारा वहा जाना ठीक नहीं होगा,

सबको बुलाकर भी हमें जानबूझकर आमंत्रित नहीं किया है अतः हमारा जाना उचित नहीं होगा, 

शिव जी के मना करने पर भी सती नहीं मानीउनकी अप्पनइ बहनो और माँ से मिलने की इच्छा और प्रबल देखकर शिव ने उन्हें वहा जाने की अनुमति दे दी वहा जाने के बाद उन्हें अपने अपमान का अनुभव हुआ कोई भी उनसे ठीक से बात नहीं कर रहा था, कोई भी उन्हें कोई मान सन्मान नहीं दे रहा था,
सब लोग मुँह बिगाड़कर उनसे बात कर रहे थे, केवल उनकी माँ ने उनसे ठीक बात की,
परिजनों का ऐसा बर्ताव देखकर वो बहुत ही व्यथित हो गई, ये दक्ष ने तो उन्हें अपमानजनक व्यंग भी किये, अनुचित शब्दों से प्रहार भी किया, ये सब सुनकर और देखकर सती क्रोध से पीड़ित होने लगी उन्होंने मन में सोचा शिव की बात न सुनकर यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है वो अपने पति का अपमान सहन न कर सकी, उन्होंने वही पर योगाग्नि से अपने देह को त्याग दिया
हुए यज्ञ का विध्वंस कर दिया, यह सुनकर शिव जी ने अपने गणो को वहा भेजकर सम्पूर्ण यज्ञ का विनाश कर दिया,
वो ही माता सती ने अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय क्र वहा जन्म लिया हिमालय पुत्री बनकर वही से वो शैलपुत्री कहलायी

शैलपुत्री मंत्र 

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीं || 

|| माँ शैलपुत्री की कथा || 


माँ शैलपुत्री की कथा || Karika Maa Shailputri Ki Katha || Shail putri mantra |  माँ शैलपुत्री की कथा  || Karika Maa Shailputri Ki Katha || Shail putri mantra | Reviewed by Bijal Purohit on 2:32 am Rating: 5

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