नाग पंचमी कथा | Naagpanchami VratKatha |


नाग पंचमी कथा

नाग पंचमी कथा | Naagpanchami VratKatha |
नागपंचमी कथा 

नाग की पूजा से मिला संतान सुख 

नाग पंचमी से संबधित एक अन्य कथा के अनुसार एक राजा के सात पुत्र थे | सभी का विवाह हो चुका था | उनमें से छः पुत्रों के यहां संतान का जन्म हो चुका था |
राजा के सातवें पुत्र के घर संतान का जन्म नहीं हुआ था |
संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर और समाज में तानों का सामना करना पड़ता था | 

समाज की बातों से उनकी पत्नी परेशान हो चुकी थी | परन्तु पति यही कहकर समझाता था, कि संतान होना या न होना तो ईश्वर के हाथ में है |
इसी प्रकार उनकी जिन्दगी संतान की प्रतीक्षा में गुजर रही थी |
एक दिन श्रावन मास की पंचमी तिथि के दिन रत में राजा की छोटी बहू ने सपने में पांच सांप देखे | 

उनमें से एक सांप ने कहा कि, पुत्री तुम संतान के लिए क्यों दुःखी होती हो,हमारी पूजा करो तुम्हारे घर संतान का जन्म होगा |
प्रातः उसने यह स्वप्न अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जेसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन करो |
उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया, और कुछ समय बाद उनके घर में संतान का जन्म हुआ | 

दूसरी कथा : नाग भाई ने दिए बहन को उपहार 

एक धनवान सेठ के छोटे बेटे की पत्नी रूपवान होने के साथ ही बहुत बुद्धिमान भी थी | उसका कोई भाई नहीं था |
एक दिन सेठ की बहुएं घर लीपने के लिए जंगल में मिट्टी खोद रही थीं तभी वहां एक नाग निकला |
बड़ी बहू  उसे खुरपी से मारने लगी तो छोटी बहू ने कहा "सांप को मत मारो" | यह सुनकर बड़ी बहू रुक गई | 

जाते-जाते छोटी बहू सांप से थोड़ी देर में लौटने का वादा कर गई | मगर बाद में वह घर के कामकाज में फंसकर वहां जाना भूल गई |
दूसरे दिन जब उसे अपना वादा याद आया तो वह दौड़कर वहां पहुंची जहां सांप बैठा था और कहा, "सांप भैया प्रणाम!" सांप ने कहा कि आज से मैं तेरा भाई हुआ, तुम्हें जो कुछ चाहिए मुझसे मांग लो |
छोटी बहू ने कहा, "तुम मेरे भाई बन गये यही मेरे लिए बहुत बड़ा उपहार है |" 

कुछ समय बाद सांप मनुष्य रूप में छोटी बहू के घर आया और कहा कि मैं दूर के रिश्ते का भाई हूं और इसे मायके ले जाना चाहता हूं |
ससुराल वालों ने उसे जाने दिया |
विदाई में सांप भाई ने अपनी बहन को बहुत गहने और धन दिये |
इन उपहारों की चर्चा राजा तक पहुंच गयी | रानी को छोटी बहू का हार बहुत पसंद आया और उसने वह हार रख लिया | 

रानी ने जैसे ही हार पहना वह सांप में बदल गया |
राजा को बहुत क्रोध आया मगर छोटी बहू ने राजा को समझाया कि अगर कोई दूसरा यह हार पहनेगा तो यह सांप बन जाएगा |
तब राजा ने उसे क्षमा कर दिया और साथ में धन देकर विदा किया |
जिस दिन छोटी बहू ने सांप की जान बचायी थी उस दिन सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि थी  इसलिए उस दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है | 

|| अस्तु ||

नाग पंचमी कथा | Naagpanchami VratKatha | नाग पंचमी कथा | Naagpanchami VratKatha | Reviewed by Bijal Purohit on 8:20 am Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.