श्री विष्णोरष्टा विंशतिनाम स्तोत्रम् | Shree Vishanorshtavinshtinam Stotra |
श्री विष्णोरष्टा विंशतिनाम स्तोत्रम्
विष्णु के एक हज़ार नामो जितना फल देते है यह दिव्य नाम
अर्जुन को भगवान् ने स्वयं यह नाम बताये थे
अर्जुन ने पूछा
केशव ! मनुष्य बार - बार एक हजार नामोंका जप क्यों करता है ?
आपके जो दिव्य नाम हें, उनका वर्णन कीजिये || १ ||
श्री भगवान ( नारायण ) बोले
अर्जुन ! मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन,
जनार्दन, गोविन्द, पुण्डरीकाक्ष, माधव,
मधुसूदन, पद्मनाभ, सहस्त्राक्ष, वनमाली,
हलायुध, गोवर्धन, हृषीकेश, वैकुण्ठ,
पुरुषोत्तम, विश्वरूप, वासुदेव,राम,
नारायण, हरि, दामोदर, श्रीधर, वेदाङ्ग,
गरुऽध्वज, अनन्त और कृष्णगोपाल
इन नामोंका जप करनेवाले मनुष्यके भीतर पाप नहीं रहता |
वह एक करोड़ गो - दान, एक सौ अश्वमेघयज्ञ और
एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है |
अमावस्या, पूर्णिमा तथा एकादशी तिथिको
और प्रतिदिन सायं-प्रातः एवं मध्याह्न के समय इन नामोंका स्मरणपूर्वक जप करनेवाला पुरुष सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त हो जाता है || २-७ ||
|| अस्तु ||
श्री विष्णोरष्टा विंशतिनाम स्तोत्रम् | Shree Vishanorshtavinshtinam Stotra |
Reviewed by Bijal Purohit
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1:51 pm
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